कीक्ली रिपोर्टर, 16 जून, 2018, शिमला
शैमरॉक डैज़लर्ज़ प्ले स्कूल में ईद उल-फ़ित्र का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया गया| इस अवसर पर प्ले स्कूल की प्रिन्सिपल शैलजा अमरेईक ने जानकारी दी कि मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्योहार मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। इस अवसर पर नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया व एक दुसरे से गले मिल कर ईद की बधाई दी तथा दावत का आनंद भी लिया| मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है। ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैईयां इस त्योहार की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसे बड़े चाव से खाया जाता हैं। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ित्र कहते हैं। यह ज़कात ग़रीबों में बाँटा जाता है।
प्रधानाचार्या ने कहा कि वास्तव में ईद का त्योहार समाज में खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दुःख में भागीदार बनने तथा जन-जन में सोहार्द फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं ।