कीक्ली रिपोर्टर, 1 मार्च, 2017, शिमला

शैमरॉक रोजेंस स्कूल के बच्चों ने होली का उत्सव बड़े धूम धाम के साथ मनाया। बच्चों ने एक दूसरे पर रंग लगा कर कायर्यक्रम का आगाज किया। स्कूल की प्रधानाचार्य प्रीति चुट्टानी ने बताया कि होली रंगों का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल फागुन के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता है। ये ढ़ेर सारी मस्ती और खिलवाड़ का त्योहार है खास तौर से बच्चों के लिये जो होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक रंगों की मस्ती में डूबे रहते है।

सालों से भारत में होली मनाने के पीछे कई सारी कहानीयाँ और पौराणिक कथाएं है। इस उत्सव का अपना महत्व है, हिन्दु मान्यतों के अनुसार होली का पर्व बहुत समय पहले प्राचीन काल से मनाया जा रहा है जब होलिका अपने भाई के पुत्र को मारने के लिये आग में लेकर बैठी और खुद ही जल गई। उस समय एक राजा था हिरण्यकशयप जिसका पुत्र प्रह्लाद था और वो उसको मारना चाहता था क्योंकि वो उसकी पूजा के बजाय भगवान विष्णु की भक्ती करता था। इसी वजह से हिरण्यकशयप ने होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा जिसमें भक्त प्रह्लाद तो बच गये लेकिन होलिका मारी गई।

जबकि, उसकी ये योजना भी असफल हो गई,क्योंकि वो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये प्रभु ने उसकी रक्षा की। षडय़ंत्र में होलिका की मृत्यु हुई और प्रह्लाद बच गया। उसी समय से हिन्दु धर्म के लोग इस त्योहार को मना रहे है। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमें लकड़ी, घास और गाय के गोबर से बने ढ़ेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इस आग में जलाता है। होलिका दहन के दौरान सभी इसके चारों ओर घूमकर अपने अच्छे स्वास्थय और यश की कामना करते है साथ ही अपने सभी बुराई को इसमें भस्म करते है। इस पर्व में ऐसी मान्यता भी है कि सरसों से शरीर पर मसाज करने पर उसके सारे रोग और बुराई दूर हो जाती है साथ ही साल भर तक सेहत दुरुस्त रहती है।

होलिका दहन की अगली सुबह के बाद, लोग रंग बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिये एक जगह इकठ्ठा हो जाते है। इसकी तैयारी इसके आने से एक हफ्ते पहले ही शुरु हो जाती है, फिर क्या बच्चे और क्या बड़े सभी बेसब्री से इसका इंतजार करते है और इसके लिये ढ़ेर सारी खरीदारी करते। यहाँ तक कि वो एक हफ्ते पहले से ही अपने दोस्तों, पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे गुब्बारों से खेलना शुरु कर देते। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते।

होली रंग का त्यौहार है पर सावधानी से मनाया जाना जरूरी है, आजकल रंग में मिलावट होने के कारण कई नुकसान का सामना करना पड़ता है इसलिए गुलाल से होली मानना ही सही है। साथ ही भांग में भी अन्य नशीले पदार्थो का मिलना भी आम है इसलिए इस तरह की चीजों से बचना बहुत जरूरी है। गलत रंग के उपयोग से ऑखों की बीमारी होने का खतरा भी बड़ रहा है इसलिए रसायन मिश्रित वाले रंग के प्रयोग से बचे। गलत रंग के उपयोग से ऑखों की बीमारी होने का खतरा भी बढ़ रहा है इसलिए रसायन मिश्रित वाले रंग के प्रयोग से बचे। घर से बाहर बनी कोई भी वस्तु खाने से पहले सोचे मिलावट का खतरा त्यौहार में और अधिक बढ़ जाता है। सावधानी से एक दुसरे को रंग लगाये, अगर कोई ना चाहे तो जबरदस्ती ना करे, होली जैसे त्यौहारों पा लड़ाई झगड़ा भी बढऩे लगा है।

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