Dimple Thakurडिम्पल ठाकुर (हिना)

जब हम अजनबी हो जाएंगे,
तुम मुझे देख कर नज़रे फेर लोगे,
मैं तुम्हें देख कर नज़रे झुका लूंगी।

दिल की बात होंठों तक आते-आते,
ज़ुबान पर ही ठहर जाएगी,
पर आँखों में झलक जाएंगी।

किताब में पड़ा वो फूल,
फिर से याद हो आएगा,
अपनी भीनी खुशबू से तुम्हारा एहसास दिलाएगा।

वो  कभी हाथ थाम कर चलना,
कभी बात-बात पर लड़ना,
अपनेपन का एहसास दिलाएगा।

वो किस्से वो कहानियां,
जो खो गए थे, किताबों में कहीं,
आस-पास लौटते नजर आएंगे।

यादों के वो मंजर दिल से तो छूट ना पाएंगे,
ये सब होगा पर हम अजनबी हो जाएंगे।

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