रीतांजलि हस्तीर

आधुनिक युग के माता पिता के लिए इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है के वह यह समझ ही नै पा रहे के वह अपनी संतान को भौतिक सुख दे रहे है या उनको पतन की ओंर धकेल रहे है। आये दिन बज़ारो में नई प्रकार के तकनिकी यंत्रो की भरमार लगी रहती है और बिना कुछ सोचे समझे माता पिता अपनी संतान को होर्ड में पीछे न रह जाने के दर से तुरंत वह ले देते है। वह अक्सर यह भी ध्यान नहीं देते के बच्चे किस प्रकार से इन यंत्रो का प्रयोग कर रहे है। रोज़ मरहा की भाग दौड़ में अक्सर बच्चो के साथ समय नहीं बिता पाते और नतीजे इतने भयानक हो सकते है कोई सोच भी नहीं सकता था ।

हाल ही में ब्लू व्हले नमक एक ऑनलाइन (जो के हमारी ही कमी के कारन सामने आया) खेल ने न जाने कितने मासूम जि़ंदगियों को कुचल के रख दिया। इसकी पहली दस्तक़ हिन्दोस्तान में मुंबई में सुनाइए पड़ी जब 14 वर्षीय बच्चे ने बिल्डिंग से कूद के अपनी जान दे दी थी और उसके बाद और कई अन्य किस्से भी सामने आए ।

इस जानलेवा खेल से शांत प्रान्त हिमाचल भी अछूता नहीं रहा । हाल ही में स्कूली बच्चो का ब्लू व्हेल गेम के जाल में फंसने का मामला सामने आने के बाद हडक़ंप मच गया। सोलन के एक निजी स्कूल के पकड़े गए छठी कक्षा के छात्र ने खुलासा किया कि उसके चार और साथी ब्लू व्हेल के टास्क पूरा करने में जुटे हैं। वे अलग-अलग एडवांस स्टेज में खेल रहे हैं। उसने बताया कि वह एक सप्ताह से ही गेम खेल रहा था। उसे बाजू पर ब्लेड से गोदकर व्हेल बनाने का पहला टास्क मिला था जिसका फोटो ऑनलाइन अपलोड करना था, लेकिन खुशकिस्मती से इससे पहले ही परिजनों ने उसे पकड़ लिया।

इससे बड़े दु:ख के बात और क्या हो सकती है के पकड़े गए बच्चे को स्कूल वाले ही अपनाने से कतरा रहे है बजाये उसकी मनोसितथि को समझ कर उसकी सहायता करने के। कुछ दिन पहले एक बच्चे के फ़ांसी लगा कर आत्महत्या करने का मामला सामने आया जिसमे उसका एक लिखित खत मिला जिसमे साफ़ लिखा था गमुझसे प्यार नहीं करते …

सोचें के बात यह है के क्या हम अपने जि़ मेदारीयो से पगा झार्ड रहे है पुरे मामले को ब्लू व्हले के सर मर्ड कर? बच्चे के हाथ में यह यंत्र दिया तो दिया किसने? अक्सर अपनी अरामी में खलल न पड़े हम लोग बच्चो को या तो टीवी का रिमोर्ट थमा देते है या फिर मोबाइल या टैब।

यह माना के फ़ोन आज कल स्मार्ट है पर क्या आपका बच्चा कितना स्मार्ट है यह देखना आपका फज़ऱ् नहीं है ? यह बात बेचारा स्मार्ट फ़ोन तय नै कर पता के आपके बच्चे के लिए कितनी जानकारी ज़रूरी है और काफी है । इस बात का जि़मा तो आपको लेना होगा ।

इस युग के लोग वर्चुअल दुनिया में जी रहे है जहां पर्सनल टच की कमी है । इस तरह के जीवनशैली के चलते मानसिक तनाव का बार्डना लाज़मी है ।

स्कूल की भी यह जि़मेदारी बनती है के वह बच्चो की कौन्सेगिंग केरे जो के अक्सर देखा गया है बहुत से स्कूल नजऱअंदाज़ करते आ रहे है। उनका फज़ऱ् सिर्फ पैसे लेना नहीं है बच्चे की मानसिक स्तिथि के संतुलन को भी बनाये रखने में मद्दद करना है। स्कूल में आये दिन ऐसी ऐसी बाते सुनने में आती है के पैरो के नीचे से ज में निकल जाए।

शिमला के डिप्टी कमिश्नर रोहन चंद ठाकुर ने भी सभी माता-पिता से अपील की कि उन्हें निराशा और अकेलेपन के लक्षण होने और पर्याप्त कदम उठाने की कोशिश करनी चाहिए।

क्या है ब्लू व्हले चैलेंज

ब्लू व्हले को डौन्लोड नहीं किया जा सकता । यह एक सामाजिक मीडिया घटना है जो गुप्त समूहों से सोशल मीडिया नेटवर्क में प्रवेश करती है । चुनौती कथित रूप से रूसी सोशल मीडिया नेटवर्क के गुप्त समूहों में शुरू हुई थी । इस खेल में 50 चुनौतियों को पार करना होता है जिसका एक क्यूरेटर द्वारा का परीक्षण किया जाता है। चुनौतियों में हॉरर फिल्मों को देखने और स्वयं-नुकसान पहुंचाने जैसी चुनौतियों शामिल होती हैं ।

यह खेल सुर्खियों में तब आया जब रूस में 16 किशोरों ने इस आत्मघाती खेल की वजह से जान गवाई । सामाजिक मीडिया साइटों पर चुनौती के लिए लिंक किशोरों को बिना किसे चुनाव के बेतरतीब भेजे जाते है और उन्हें 50 दिनों के लिए अलग-अलग कार्य सौंपे जाते हैं। इस खेल में 50 चुनौतियों को पार करना होता है जिसका एक क्यूरेटर द्वारा का परीक्षण किया जाता है। चुनौतियों में हॉरर फिल्मों को देखने और स्वयं-नुकसान पहुंचाने जैसी चुनौतियों शामिल होती हैं ।

चुनौती का नाम कुछ नीले व्हेल द्वारा प्रदर्शित आदत के नाम पर है, जिसमें आत्महत्या करने के उद्देश्य से वे स्वयं समुद्र तट पर रहते हैं। रूसी मीडिया ने बताया कि चुनौती के प्रशासक फिलिप बुदेइकिन ने किशोरों को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के लिए दोषी ठहराया तो उन्हों ने कहा के उनका उद्देश्य उन लोगों से आत्महत्या करवाना था जो सोचते हैं कि वे जीवित होने के योग्य नहीं हैं । उनका उद्देशय केवल समाज़ को शुद्ध करना था ।

क्यों किशोर संवेदनशील हैं —

विशेषज्ञों के मुताबिक, किशोर अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि आभासी (वर्चुअल) दुनिया उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देती है – असली दुनिया में प्रचलित प्रतिबंधों के बिना – जो उन्हें बढ़ावा देने लगता है ।

गकिशोर आमतौर पर इन जोखिमों को लेते हैं क्योंकि वे कमजोर होते हैं और वे मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं। फोर्टिस हेल्थकेयर, नई दिगी के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने आईएएनएस को बताया, इसके अलावा, उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वे उन चीज़ों का एक हिस्सा हैं जो उनसे बड़ी हैं।

यह देखा गया है कि कुछ किशोरों के पास बहुत कम आत्मस मान है, और सहकर्मी की मंजूरी पर काफी निर्भर हैं मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक समीर मल्होत्रा ने कहा है कि उनके लिए बाहरी वातावरण प्रेरणा का स्रोत बन जाता है, यही वजह है कि वे कुछ भी (परियोजना) को कुछ खास करने को तैयार हैं।

साइबर क्राइम विभाग सक्रिय

 चलते हालातो देख कर हिमाचल पुलिस का साइबर क्राइम विभाग सक्रिय हो गया और इसे लेकर एक एडवायजरी जारी की है ।
 हिमाचल पुलिस ने अभिभावकों और शिक्षकों के लिए यह एडवाइजरी जारी की है । इसमें सलाह दी है कि वह बच्चों की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें । उनसे लगातार बातचीत करते रहें और उनकी मानसिक स्थिति पर भी खास नजर रखें ।
 अगर बच्चों के शरीर पर चोट आदि के निशान मिलें तो पड़ताल जरूर करें बता दें कि इस गेम के कारण विश्वभर में कई लोग सुसाइड कर चुके हैं ।
 साइबर क्राइम की एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों के पेरेंट्स उनके मोबाइल, फेसबुक अकाउंट जैसे सोशल नेटवर्किंग अकाउंटों पर भी नजर रखें ।
 किताबों, नोट बुक्स की भी पड़ताल करते रहें । जानकारी के अनुसार, टीनेजर इस गेम को च्यादा खेलते हैं ।
 उधर,स्कूल अधिकारियों को भी कहा गया है कि स्कूल में इंटरनेट गतिविधियों की लगातार निगरानी की जाए । बता दें कि देश में हाल ही में इसे लेकर मामले सामने के बात ब्लू व्हेल ऐप को ब्लॉक कर दिया गया है ।
 लगभग 50 दिन तक चलने वाले इस खेल में खिलाड़ी को 50 टास्क्स करने होते हैं, जिनमें से कई में खुद को नुकसान भी पहुंचाना होता है । इस खेल के आखिर में खिलाड़ी को सुसाइड करना होता है । एक जानकारी के अनुसार, दुनियाभर में इस चैलेंज की वजह से लगभग 130 मौतें हो हो चुकी हैं ।

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