डिम्पल ठाकुर

हरी -भरी ये धरती
दुल्हन जैसी नज़र आए
जिस और कदम बढ़ाउं
वो अपना आँचल उड़ाए
हवा का एक झौंका
दिल को छू जाए
मिठी सी धूप से
तन मन भीग जाए
नदी किनारे बैठा माझी
गीत कोई सुरीला गाए
बसंत के आगमन पर
झूमे पंछी कोयल गाए
भंवरा फूल फूल मंडराए
कल कल करते झरने
धुन कोई मीठी गाए
आंखे देखे सपने पिया के
दिल ही दिल मुस्कुराये ।

Previous article सैंट थॉमस स्कूल में छात्रों की हुई स्वास्थ्य जांच
Next articleराज्यपाल ने पोलिथीन हटाओ–-पर्यावरण बचाओ अभियान 2019 का किया शुभारंभ

2 COMMENTS

  1. यह खूबसूरती सिर्फ हिमाचल में ही है। इसीलिए हिमाचली कविताओं में इनका वर्णन है। बेहद खूसूरत।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here